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50 सैड शायरी हिंदी: ज़िन्दगी के ग़मों का आईना

50 सैड शायरी हिंदी: ज़िन्दगी के ग़मों का आईना| ज़िन्दगी एक अजीब सफ़र है। इसमें खुशी के साथ-साथ उदासी भी हमारे कदम से कदम मिलाकर चलती है। कभी-कभी हमारे दिल के एहसासों को ज़ुबान नहीं मिलती, और ऐसे ही मौकों पर शायरी हमारा सहारा बनती है।

परिचय: सैड शायरी हिंदी| ज़िन्दगी की उदास राहों पर शायरी का साथ

इस आर्टिकल में मैंने, ज़िया ने, आपके लिए दिल को छू लेने वाले 50 चुनिंदा शेर इकट्ठा किए हैं। ये अशआर मशहूर और सच्चे शायरों की कलम से निकले हैं, जो आपकी भावनाओं की गहराई तक उतरेंगे। ये सैड शायरी हिंदी आपके दिल की अनकही बातों को समझेगी, आपको सुकून देगी, और शायद आपको ये एहसास भी दिलाएगी कि आप अकेले नहीं हैं।

चलिए, शुरू करते हैं ये सफ़र, जहाँ हर एक शेर ज़िन्दगी के ग़मों का आईना बनेगा।

1.

“कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त,

सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया।”

– साहिर लुधियानवी

2.

“ज़िन्दगी जैसी तवक़्क़ो थी नहीं कुछ कम है,

हर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है।”

– शहरयार

3.

“अब तो ग़म सहने की आदत सी हुई जाती है,

हर खुशी अश्क की सूरत सी हुई जाती है।”

– बशीर बद्र

4.

“हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,

जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा।”

– वसीम बरेलवी

5.

“दुख तो ये है कि ज़माने ने मोहब्बत छोड़ दी,

और तकलीफ़ ये कि हमें अब भी यकीं है इस पर।”

– गुलज़ार

6.

“कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,

यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।”

– बशीर बद्र

7.

“मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला,

अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।”

– अहमद फ़राज़

8.

“वो नहीं मिलता मुझे, इसका गिला अपनी जगह,

उसके मेरे बीच ये दीवार क्यों है, सोचता हूँ।”

– जावेद अख़्तर

9.

“तुम ने देखी है वो पेशानी, वो रुखसार, वो होंठ,

ज़िन्दगी जिनके तसव्वुर में लुटा दी हमने।”

– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

10.

“बिछड़ के मुझसे कभी तू ने ये भी सोचा है,

अधूरा चाँद भी कितना उदास लगता है।”

– गुलज़ार

ज़िन्दगी की उदास शामें: ग़मों की दास्तान जारी है…

ज़िन्दगी के ग़मों का आईना और भी गहरा होता है जब दिल के जज़्बात अशआरों में झलकते हैं। आगे पढ़ें कुछ और चुनिंदा शेर, जो आपकी भावनाओं को छू लेंगे

11.

“कुछ और नहीं तो यही एहसान किया कर,

दुश्मन मेरा बन कर ही मुझे याद किया कर।”

– क़तील शिफ़ाई

12.

“दर्द की बारिश सही मद्धम ज़रा आहिस्ता हो,

दिल के आँगन में अभी तक ग़म पुराना है बहुत।”

– राहत इन्दौरी

13.

“ज़िंदगी तूने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं,

तेरे दामन में मेरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं।”

– साहिर लुधियानवी

14.

“उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ,

ढूंढने उसको चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ।”

– मिर्ज़ा ग़ालिब

15.

“मोहब्बत करने वाले कम न होंगे,

तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे।”

– हफ़ीज़ होशियारपुरी

16.

“कहाँ आ के रुकने थे रास्ते, कहाँ मोड़ था उसे भूल जा,

वो जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिला उसे भूल जा।”

– अमजद इस्लाम अमजद

17.

“मैंने हर ग़म को ख़ुशी में ढाला है,

मेरा हर दर्द मेरे काम आया।”

– कैफ़ी आज़मी

18.

“वो मेरा होकर भी मेरा न हुआ,

उसको अपना बनाना भूल गया।”

– साहिर लुधियानवी

19.

“ज़िन्दगी तूने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं,

पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है।”

– बशीर बद्र

20.

“रोते-रोते थक गए आँखों में आँसू आ गए,

ग़म था इतना ज़िन्दगी में, ख़ुशी से डर गए।”

– राहत इन्दौरी

दिल की तन्हाइयों से निकली आवाज़ें…

ज़िन्दगी में कभी-कभी दिल की आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं होता। पेश हैं कुछ और दिल को छू लेने वाले अशआर, जो आपकी खामोशी समझेंगे।

21.

“जाने किस-किस का ख़्याल आया है,

इस समुंदर में उबाल आया है।”

– अहमद फ़राज़

22.

“ज़िन्दगी भर के लिए रूठ के जाने वाले,

मैं अभी तक तेरी तस्वीर लिए बैठा हूँ।”

– राहत इन्दौरी

23.

“कोई रिश्ता न रहा फिर भी एक तस्लीम तो है,

उस को खो देने का एहसास तो कम है कि नहीं।”

– बशीर बद्र

24.

“गुज़र तो जायेगी तेरे बग़ैर भी लेकिन,

बहुत उदास, बड़ी बे-क़रार गुज़रेगी।”

– परवीन शाकिर

25.

“बहुत दिनों से मिली है न धूप घर को मेरे,

उदासियों का अंधेरा बहुत घना है यहाँ।”

– जावेद अख़्तर

26.

“सिर्फ़ आँखों से ही आँसू नहीं निकलते हैं,

कुछ दुख ऐसे हैं जो अंदर ही पिघलते हैं।”

– गुलज़ार

27.

“हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है,

अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें।”

– साहिर लुधियानवी

28.

“ज़िन्दगी तू ने मुझे क़तरा-क़तरा पिया,

एक घूँट भी न मिला, तुझसे मेरी प्यास बुझी नहीं।”

– अमजद इस्लाम अमजद

29.

“कभी ख़ुद पे, कभी हालात पे रोना आया,

बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया।”

– साहिर लुधियानवी

30.

“उम्र भर कौन निभाता है तअल्लुक़ इतना,

ऐ मिरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रखे।”

– जौन एलिया

ग़म की बारिश: दिल को छू लेने वाले शेरों का कारवाँ…

कुछ दर्द दिल में ऐसे उतरते हैं कि उन्हें बयान करना मुश्किल होता है। इन चुनिंदा अशआर के ज़रिए महसूस करें वो एहसास, जो दिल से दिल तक पहुँचते हैं।

31.

“ज़ख़्मों को नुमाइश के सिवा कुछ नहीं हासिल,

उम्मीद थी जिस से मुझे मरहम की वही नमक लाया।”

– राहत इन्दौरी

32.

“किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल,

कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा।”

– बशीर बद्र

33.

“हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा,

क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा।”

– अहमद फ़राज़

34.

“अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे,

बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िन्दगी मुझे।”

– जावेद अख़्तर

35.

“ज़िन्दगी इस तरह वीरान हुई जाती है,

जैसे इक क़ब्र पे दीया सा जले शाम के बाद।”

– बशीर बद्र

36.

“हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो ही जाएँगे,

अभी कुछ बे-क़रारी है, सितारो तुम तो सो जाओ।”

– कैफ़ी आज़मी

37.

“वो जिसे साँस का रिश्ता भी गवारा न हुआ,

ज़िन्दगी भर का सहारा भी उसी से माँगा।”

– परवीन शाकिर

38.

“ऐ ज़िन्दगी तुझे अब तक समझ न पाए हम,

तू इक पहेली है जो उलझती ही जाती है।”

– गुलज़ार

39.

“मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था,

दिल भी या-रब कई दिए होते।”

– मिर्ज़ा ग़ालिब

40.

q“ज़िन्दगी भर की मुहब्बत का सिला कुछ भी नहीं,

एक तस्वीर के सिवा पास रहा कुछ भी नहीं।”

– साहिर लुधियानवी

ज़िन्दगी के आख़िरी मोड़ पर: ग़म और शायरी की दास्तान…

ज़िन्दगी में कुछ ग़म ऐसे होते हैं जो हमेशा साथ चलते हैं। ये आखिरी शेर आपकी भावनाओं को एक गहरी तसल्ली देंगे और ज़िन्दगी की सच्चाई से आपको रूबरू करवाएंगे।

41.

“एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें,

और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं।”

– फ़िराक़ गोरखपुरी

42.

“किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं,

तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो।”

– निदा फ़ाज़ली

43.

“जाने कब तक तिरी तस्वीर निगाहों में रही,

हो गई रात तिरे अक्स को तकते-तकते।”

– जौन एलिया

44.

“हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है,

तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।”

– मिर्ज़ा ग़ालिब

45.

“अजब हाल है दिल का, कोई समझा ही नहीं,

ज़िन्दगी हँस के गुज़ारो तो कोई पूछता नहीं।”

– निदा फ़ाज़ली

46.

“वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन,

उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।”

– साहिर लुधियानवी

47.

“अब न वो शोर है, न वो बेचैनियाँ मेरी,

उदास शाम है, ख़ामोशियाँ मेरी।”

– जावेद अख़्तर

48.

“एक मुद्दत से आरज़ू थी फ़िराक़,

ऐसा कुछ हो कि दिल को चैन आए।”

– फ़िराक़ गोरखपुरी

49.

“ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं,

मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।”

– क़तील शिफ़ाई

50.

“इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की,

आज पहली बार उस से मैंने बेवफ़ाई की।”

– अहमद फ़राज़

समापन: दिलों की आवाज़ को छूता ये सफ़र

ज़िन्दगी के सफ़र में दर्द, उदासी, और तन्हाइयाँ अक्सर हमसफ़र बन जाती हैं। उम्मीद है ये चुनिंदा अशआर आपके दिल की गहराइयों तक पहुँचे होंगे। ग़म चाहे जितना गहरा हो, शायरी हमेशा उसे समझने और महसूस करने का ज़रिया बनती है।

आगे भी Sad Shayari Only से जुड़े रहें, और अपने एहसासों को हमारे साथ बांटते रहें।

आपके जज़्बातों का साथी,

ज़िया

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